भारत विविधताओं और त्योहारों की भूमि है। यहाँ हर पर्व किसी न किसी धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व से जुड़ा हुआ है। इन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है गणेश चतुर्थी, जिसे विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि के देवता श्री गणेश जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने भगवान गणेश को जन्म दिया था। गणपति जी को प्रथम पूज्य देव माना गया है, अतः किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके आशीर्वाद के बिना अधूरी मानी जाती है। इस दिन भक्त लोग गणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं, व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना कर ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे लगाते हैं।
गणेश चतुर्थी मनाने की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण स्थापित कर दिए। उन्होंने उस बालक को दरवाज़े पर पहरेदारी करने के लिए खड़ा कर दिया और कहा कि कोई भी अंदर न आए।
उसी समय भगवान शिव वहाँ पहुँचे और अंदर जाना चाहा, लेकिन उस बालक ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने अपने त्रिशूल से उसका सिर काट दिया। माता पार्वती जब बाहर आईं तो अपने पुत्र का मस्तक कटा देखकर विलाप करने लगीं। पार्वती के रोष को शांत करने के लिए शिवजी ने गंगा जी के कहने पर उत्तर दिशा की ओर सोए हुए पहले प्राणी का सिर लाने को कहा। संयोग से वह प्राणी हाथी का बच्चा था।
शिवजी ने हाथी का सिर उस बालक के शरीर पर रखकर उसे पुनः जीवित किया और कहा कि अबसे यह मेरा पुत्र गणेश कहलाएगा और सभी देवताओं में प्रथम पूज्य होगा। तभी से भगवान गणेश को हर कार्य में सबसे पहले पूजने की परंपरा शुरू हुई।
धार्मिक महत्व
गणेश चतुर्थी केवल उत्सव नहीं बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।
- गणेश जी को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का दाता माना जाता है।
- इस दिन व्रत रखने और गणेश जी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
- गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, अतः उनकी पूजा करने से जीवन के कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं।
- व्यापार, शिक्षा और नए कार्य की शुरुआत में विशेष रूप से गणपति की पूजा करने का महत्व है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह हमें एकता, भक्ति और सद्भाव का संदेश देता है। ‘गणपति बप्पा मोरया’ के गगनभेदी जयकारे केवल हमारे दिलों को आस्था से नहीं भरते बल्कि हमें यह याद दिलाते हैं कि हर कठिनाई में भगवान गणेश का आशीर्वाद हमारे साथ है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि हर साल अगस्त या सितंबर महीने में पड़ती है।
इस दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। धूप, दीप, नैवेद्य और मंत्रोच्चारण के साथ आरती की जाती है। भक्त गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखते हैं और मोदक का भोग लगाते हैं।
भगवान गणेश जी को बुद्धि, विवेक और विघ्नहर्ता माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है तथा जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं।
गणेश जी को मोदक, लड्डू और दूर्वा (हरी घास) विशेष रूप से प्रिय हैं। अतः इन्हें गणेश चतुर्थी के दिन अवश्य अर्पित किया जाता है।
परंपरागत रूप से गणेश चतुर्थी का उत्सव 1 दिन से लेकर 10 दिन तक मनाया जाता है। महाराष्ट्र और अन्य जगहों पर 10वें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का सबसे भव्य आयोजन महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में होता है। लेकिन अब यह पूरे भारत और विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।