मकर संक्रांति हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर 14 जनवरी को होती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे ‘उत्तरायण’ के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व है, जो इस पर्व को एक विशेष स्थान प्रदान करता है।
कब मनाई जाती है मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। यह दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का संकेत देता है। मान्यता है कि इस दिन से सूर्य उत्तरायण होकर 6 महीने के बाद मकर राशि में प्रवेश करता है। यह सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में स्वर्णिम प्रवेश का प्रतीक होता है, जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व विभिन्न कारणों से है:
- सूर्य भगवान की पूजा: इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसे ‘उत्तरायण’ भी कहा जाता है, जिसमें सूर्य देव का उत्तरायण होना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य की दिशा परिवर्तन से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कृषि संबंधी महत्व: मकर संक्रांति किसानों के लिए नए साल का आरंभ होता है। उत्तर भारत में इसे ‘खिचड़ी’ पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इसी समय रबी फसलें कटाई के लिए तैयार होती हैं। किसान नए पौधों का रोपण करते हैं और सूर्य देवता की पूजा कर बंपर फसल की कामना करते हैं।
- दान और पुण्य: इस दिन विशेष दान देने का भी महत्व है। तिल, गुड़, कपड़े, खिचड़ी, और अन्य वस्त्र दान करने का रिवाज है। इसे लेकर मान्यता है कि तिल का दान करने से पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पुण्यकाल स्नान: मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति का मुहूर्त और पूजा विधि
- मुहूर्त: मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय होता है, जो 14 जनवरी को सुबह के समय होता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय अत्यंत शुभ होता है।
- पूजा विधि:
- स्नान: सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। विशेषकर गंगा नदी में स्नान करने की मान्यता है।
- गणेश पूजन: स्नान करने के बाद घर पर या पूजा स्थल पर भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद सूर्य देव की पूजा करें।
- तिल-गुड़ का दान: इस दिन तिल, गुड़, और खिचड़ी का दान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह परिवारिक समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना के लिए किया जाता है।
- भोग: इस दिन विशेष तिल, गुड़, खिचड़ी, मूली, बेसन के लड्डू, आदि बनाकर प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इसके साथ ही विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं।
- पड़ोसियों और रिश्तेदारों को आमंत्रित करें: इस दिन परिवार और रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुशी मनाई जाती है।
- पारंपरिक खेल और पतंगबाजी: मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का भी बड़ा महत्व है, विशेषकर गुजरात में इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे मौसम में बदलाव होता है। दक्षिणायन की समाप्ति और उत्तरायण की शुरुआत का यह दिन सूर्यास्त की अवधि को कम करता है और दिन का लंबा होने लगता है। इससे तापमान में वृद्धि होती है और धरती पर जीवंतता बढ़ती है। कृषि वैज्ञानिक इसे फसल की कटाई और नववर्ष के आगमन का प्रतीक मानते हैं, क्योंकि इस समय सूर्य की किरणें पौधों के लिए सर्वोत्तम होती हैं।
संक्रांति का वैश्विक महत्व
मकर संक्रांति सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में मनाई जाती है। इसे ‘लोहड़ी’ के नाम से पंजाब में, ‘भोगाली बिहू’ के रूप में असम में, ‘उत्तरायण’ के नाम से गुजरात और महाराष्ट्र में, और ‘पोंगल’ के नाम से तमिलनाडु में मनाया जाता है। हर राज्य अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार इसे मनाता है।
सारांश
मकर संक्रांति सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता, खुशहाली और समृद्धि का संदेश देता है। यह दिन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो प्रकृति में परिवर्तन और नई ऊर्जा का संकेत देता है। इस दिन स्नान, दान, और भगवान की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है। मकर संक्रांति की विशेषता इसे सभी धर्मों, जातियों, और संस्कृतियों के लोगों के बीच एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाती है।
इस पर्व के महत्व को समझना और इसे मनाने की विधि से हम न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास भी करते हैं।
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मकर संक्रांति 2025 से संबंधित सामान्य प्रश्न और उनके उत्तर
1. मकर संक्रांति कब मनाई जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिससे दिन की अवधि और मौसम में परिवर्तन होता है।
2. मकर संक्रांति का महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह दिन सूर्य की उत्तरायण अवस्था का प्रतीक है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, यह दिन किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि रबी फसलें इसी समय तैयार होती हैं।
3. मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति पर स्नान, दान, सूर्य भगवान की पूजा, तिल-गुड़ का दान, और खिचड़ी पकाने का रिवाज होता है। इस दिन विशेष पकवान तैयार कर परिवार और रिश्तेदारों के साथ मनाने की परंपरा है।
4. मकर संक्रांति पर क्या खाना बनाते हैं?
उत्तर: मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, खिचड़ी, मूली, बेसन के लड्डू, और अन्य पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों का महत्व कृषि और शुभकामनाओं से जुड़ा होता है।
5. मकर संक्रांति पर दान क्यों किया जाता है?
उत्तर: इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान करने की परंपरा है। इसे करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, और नए साल में समृद्धि और खुशहाली की कामना होती है।
6. मकर संक्रांति पर पतंगबाजी क्यों की जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति पर गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष रूप से पतंगबाजी की जाती है। इसे ‘उत्तरायण’ भी कहा जाता है, जिसमें लोग पतंग उड़ा कर सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करते हैं और शुभता की कामना करते हैं।
7. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिससे दिन लंबा होने लगता है और तापमान में वृद्धि होती है। यह मौसम में बदलाव का संकेत देता है और कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
8. मकर संक्रांति पर स्नान का महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह स्नान धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है।
