पोंगल की तारीख 2025(Pongal Date 2025)
पोंगल का पर्व 2025 में 15 जनवरी से शुरू होगा और यह चार दिनों तक चलेगा। यह दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में, बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
पोंगल का अर्थ क्या है?
“पोंगल” तमिल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “उफान” या “उबाल”। यह नाम उस विशेष मिठाई “पोंगल” से लिया गया है, जो इस त्योहार पर बनाई जाती है। यह त्यौहार नई फसल और समृद्धि का प्रतीक है, जिसमें धरती माता, सूर्य देव और प्रकृति को धन्यवाद दिया जाता है।
पोंगल कब है?
पोंगल आमतौर पर मकर संक्रांति के आसपास आता है। 2025 में यह पर्व 15 जनवरी से शुरू होकर 18 जनवरी तक मनाया जाएगा:
- 15 जनवरी: भोगी पोंगल
- 16 जनवरी: सूर्य पोंगल
- 17 जनवरी: मट्टू पोंगल
- 18 जनवरी: कन्या पोंगल
पोंगल क्यों मनाते हैं?
पोंगल मुख्य रूप से कृषि और नई फसल के सम्मान में मनाया जाता है। यह किसानों की कड़ी मेहनत और प्रकृति की उदारता का उत्सव है। पोंगल सूर्य देव को समर्पित है, जो जीवन और ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। यह पर्व बताता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य और आभार व्यक्त करना कितना महत्वपूर्ण है।
पोंगल का महत्व
- कृषि उत्सव: यह त्योहार नई फसल की कटाई का जश्न है।
- धार्मिक मान्यता: यह सूर्य देव की पूजा और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
- सामाजिक एकता: त्योहार के दौरान परिवार और समाज के लोग एकजुट होकर खुशियां मनाते हैं।
- परंपरा और संस्कृति: पोंगल भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई को दिखाता है।
पोंगल के 7 रोचक तथ्य
- पोंगल चार दिनों का त्योहार है, जो तमिल कैलेंडर के “थाई” महीने की शुरुआत का प्रतीक है।
- पोंगल के दिन ताजा दूध और चावल से मिठाई बनाई जाती है, जो “पोंगल डिश” कहलाती है।
- मट्टू पोंगल के दिन गायों और बैलों की पूजा की जाती है।
- त्योहार का दूसरा दिन, “सूर्य पोंगल,” सूर्य देव को समर्पित है।
- पोंगल का प्रसाद मिट्टी के बर्तन में खुले आकाश के नीचे पकाया जाता है।
- त्योहार के दौरान तमिलनाडु में “जलीकट्टू” नामक खेल आयोजित होता है, जिसमें बैल दौड़ होती है।
- पोंगल तमिलनाडु के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और श्रीलंका में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
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