सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत और पूजन पर्व है। यह पर्व माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और विशेष रूप से माँ अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं।
सकट चौथ का महत्व:
इस दिन भगवान गणेश को चंद्रमा के दर्शन करवाकर उनकी पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि सकट चौथ का व्रत करने से संतान के जीवन से सभी संकट दूर होते हैं।
व्रती दिनभर निर्जल व्रत रखते हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करते हैं।
सकट चौथ व्रत विधि:
सुबह स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
दिन भर उपवास करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
शाम को गणेश जी की पूजा करें – दूर्वा, लड्डू, रोली, मोदक, फल आदि अर्पित करें।
चंद्रमा के उदय के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
अंत में सकट चौथ की आरती गाएं।
सकट चौथ की आरती (Sakat Chauth Aarti in Hindi):
आरती श्री गणेश जी की
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत, चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूषक सवारी।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डूअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
अंधकार मिटावन, संकट को हरता।
मंगलमूर्ति रूप तेरा, सबका तू रखवाला।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
विशेष बातें:
सकट चौथ की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश को तिल और गुड़ से बनी वस्तुएँ अर्पित करना विशेष फलदायी होता है।
इस दिन संकटहरण गणेश जी का ध्यान करने से सारे दुख और कष्ट दूर होते हैं।
निष्कर्ष:
सकट चौथ केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि एक माँ के प्रेम, आस्था और बलिदान का प्रतीक है। इस दिन की गई आराधना न सिर्फ बच्चों को संकटों से बचाती है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।
