श्रावण मास (सावन) को भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। इस माह में शिव भक्ति का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि सावन में किया गया रुद्राभिषेक सभी कष्टों का नाश करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। यह एक पवित्र प्रक्रिया है जिसमें शिवलिंग का विधिपूर्वक जल, दूध, गंगाजल, बेलपत्र आदि से अभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक का महत्व:
- पापों का शमन होता है
- ग्रह दोषों का निवारण होता है
- मन को शांति और ऊर्जा मिलती है
- संतान प्राप्ति, विवाह और धन से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं
- शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है
रुद्राभिषेक की पूजा सामग्री:
सामग्री का नाम | उपयोग क्यों? |
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जल (गंगाजल हो तो उत्तम) | पवित्रता और शुद्धिकरण के लिए |
दूध | शांति, सौम्यता और संतुलन के लिए |
दही | मन की शुद्धि और प्रसन्नता के लिए |
घी | शक्ति और समृद्धि के लिए |
शहद | जीवन में मधुरता लाने हेतु |
बेलपत्र | भगवान शिव को अत्यंत प्रिय |
धतूरा, आक | शिव को प्रिय वनस्पतियाँ |
चंदन | शीतलता और सौभाग्य हेतु |
रोली, अक्षत, फूल | पूजन सामग्री |
धूप, दीप | पूजा की पूर्णता हेतु |
रुद्राभिषेक की विधि:
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
- सफेद या पीले रंग का वस्त्र शुभ होता है
- मन को शांत करके शिव ध्यान करें
पूजा स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें
- मिट्टी, पारद, या पत्थर का शिवलिंग हो सकता है
- आसन पर बैठें और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख रखें
शिवलिंग का पवित्र जल से स्नान कराएं
- सबसे पहले गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग धोएं
पंचामृत से अभिषेक करें
- दूध, दही, शहद, घी और शक्कर मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें
- हर अभिषेक के समय मंत्र बोलें:
“ॐ नमः शिवाय” या “ॐ रुद्राय नमः”
शुद्ध जल से पुनः स्नान कराएं
- पंचामृत के बाद फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं
बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फूल अर्पित करें
- बेलपत्र इस मंत्र के साथ चढ़ाएं:
“बिल्वपत्रं समर्पयामि”
दीपक जलाएं और धूप दें
- शिव जी को सुगंधित धूप, दीप और घी का दीपक अर्पित करें
मंत्र जाप और आरती करें
- “महामृत्युंजय मंत्र” का 108 बार जाप करें:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥ - फिर शिव जी की आरती करें: “जय शिव ओंकारा…”
सावन में रुद्राभिषेक कब करें?
तिथि | दिन | विशेष योग |
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7 जुलाई | सोमवार | सावन का पहला सोमवार |
14 जुलाई | सोमवार | द्वितीय सोमवार |
21 जुलाई | सोमवार | तृतीय सोमवार |
28 जुलाई | सोमवार | चतुर्थ सोमवार |
रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 11 बजे तक श्रेष्ठ माना जाता है। महिलाएं भी रुद्राभिषेक कर सकती हैं, यदि शुद्धता और श्रद्धा बनी रहे।
निष्कर्ष:
रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो सिर्फ धार्मिक ही नहीं, मानसिक और आत्मिक लाभ भी देती है। सावन का यह अवसर भगवान शिव को प्रसन्न करने का उत्तम समय है। यदि आप विधिपूर्वक रुद्राभिषेक करते हैं, तो निश्चित रूप से शिव कृपा आप पर बरसेगी।